पीढ़ी अंतराल का ताल्लुक उम्र से नहीं बल्कि सोच से है

पीढ़ी अंतराल का ताल्लुक उम्र से नहीं बल्कि सोच से है, नजरिया ला सकता है बदलाव, इसके लिए पुरानी पीढ़ी को ही करनी होगी पहल-डाॅ. सतीश त्यागी
रोहतक 03 नवंबर। पीढ़ी अंतराल या जनरेशन गैप हमेशा बना रहेगा। पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी के तौर-तरीकों से शिकायत है, वहीं नई पीढ़ी की समस्या यह है कि पुरानी पीढ़ी से ज्यादातर मामलों में सामंजस्य नहीं बैठा पा रही। दो पीढ़ियों के बीच इस अंतराल को खत्म नहीं किया जा सकता। इस अंतराल को ईमानदार कोशिशों से काफी हद तक कम किया जा सकता है।
          वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं सामाजिक चिंतक डाॅ. सतीश त्यागी के वक्तव्य का यह सार रहा। वह महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के एक्टिविटी सेंटर में आयोजित लेक्चर सीरीज में बतौर आमंत्रित वक्ता सम्मिलित हुए। एमडीयू स्टडी सर्कल की ओर से कराए गए कार्यक्रम में डा. त्यागी ने पीढ़ी अंतराल के डर कितने जायज विषय पर विचार रखे।
       उन्होंने कहा कि पीढ़ी अंतराल का ताल्लुक उम्र से नहीं बल्कि सोच से है। नजरिया बदलाव ला सकता है। इसके लिए पहल पुरानी पीढ़ी को ही करनी होगी। नई पीढ़ी से खुले मन से दोस्ती करनी होगी। नवीन तकनीकों पर संदेह करने के बजाए इन्हें अपनाना होगा, पारंगता हासिल करनी होगी।
       मुख्य वक्ता ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए पीढ़ी अंतराल से होने वाली समस्याओं को उल्लेखित किया। पश्चिमी देशों में पीढ़ी अंतराल के विषय पर सामाजिक जागरूकता की तारीफ की। उन्होंने कहा कि पश्चिम की अच्छी बात यह है कि वहां उपहास करने की संस्कृति नहीं है।
      उनका कहना था कि जहां नई पीढ़ी अपने बड़ों का सम्मान करती है तो वहीं पुरानी पीढ़ी नौजवानों की सोच को अपनाने की भरपूर कोशिश करते हैं। इन देशों में धर्म और विज्ञान एक साथ बढ़ता रहता है, वैज्ञानिक तर्कों को सराहा जाता है इसके उलट भारत में प्रगतिशील विचारों को संदेह की दृष्टि से देखा जाना चिंतनीय है।
       डाॅ. सतीश त्यागी ने कहा कि भारत जैसे विविधता भरे देश में पीढ़ी अंतराल इस वजह से भी है कि पुरानी पीढ़ी अपनी सोच को नई पीढ़ी के अनुसार ढालने से पीछे हटती है्, वहीं नई पीढ़ी हमेशा प्रयासरत रहती है कि वह अपने बुजुर्गों का हर तरह से सम्मान करे, उनके जीवन के स्तर को उठाए। पुरानी पीढ़ी काे नई पीढ़ी को लेकर अपना नजरिया बदलना ही होगा, अन्यथा जनरेशन गैप बढ़ता ही जाएगा।
       कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर सुनित मुखर्जी ने कहा कि विभिन्न पीढ़ियों के सोच एवं मानसिकता में फर्क रहेगा। जरूर है कि प्रत्येक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को व्यक्तिगत स्पेस दें। वैचारिक मतभेदम मनभेद न बने, ये प्रयास किया जाना चाहिए। परस्पर संवाद की अहमियत को उन्होंने रेखांकित किया।
            कार्यक्रम में बतौर अतिथि सेवानिवृत प्रिंसिपल डा. वेदप्रकाश श्योराण, वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र कंवारी, वरिष्ठ पत्रकार सत सिंह, वरिष्ठ पत्रकार ओपी वशिष्ठ शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी कुलदीप कुमार ने किया।
       इस मौके पर सन्नी कौशिक,प्रिया कुसुम, अमित, रोहित, जैसमीन, सुमेधा, मोनिका, चांदनी, मंजीत सरोहा, अमित दहिया, रोबिन, मोहित नरवाल, अनिल कथूरवाल, मंजीत सोलंकी आदि मौजूद रहे।

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