🕊️ Pope Francis Ka Safar: दुनिया के सबसे बड़े धर्मगुरु की कहानी और उनके निधन पर क्यों रो पड़ा पूरा ईसाई जगत?
1.5 अरब से अधिक कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु, पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन सिटी ने सोमवार को यह दुखद समाचार जारी किया। वे हाल के दिनों में गंभीर रूप से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती होने के बाद हाल ही में डिस्चार्ज होकर बाहर आए थे। उनके निधन से केवल ईसाई समुदाय ही नहीं, पूरी दुनिया में शोक की लहर है।
🌎 ईसाई इतिहास में ऐतिहासिक नाम – पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे, जो 2013 में पोप के पद पर आसीन हुए। वे पहले जेसुइट (Jesuit) सदस्य थे जिन्होंने इस सर्वोच्च पद को संभाला। 12 वर्षों के अपने कार्यकाल में उन्होंने न केवल वेटिकन की छवि को आधुनिक रूप दी, बल्कि चर्च को समावेशी और पारदर्शी बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए।
👨🔬 एक साधारण शुरुआत: पोप बनने से पहले का जीवन
पोप फ्रांसिस का असली नाम था – जोर्गे मारियो बर्गोलियो। उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ। एक सामान्य परिवार से आने वाले बर्गोलियो ने अपने करियर की शुरुआत एक केमिकल टेक्नीशियन के तौर पर की और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में वर्षों तक काम किया।
लेकिन इस व्यावसायिक जीवन के बीच धर्म की ओर झुकाव ने उन्हें चर्च से जोड़ दिया। 21 साल की उम्र में न्यूमोनिया के कारण उनके फेफड़े का एक हिस्सा निकालना पड़ा, लेकिन इस बीमारी ने उनके जीवन का रास्ता पूरी तरह बदल दिया।
1958 में वे जेसुइट समुदाय से जुड़े और 1969 में पादरी के रूप में नियुक्त हुए। इस दौरान उन्होंने शिक्षा और सेवा को अपना उद्देश्य बनाया।
🏛️ वेटिकन में लाए ऐतिहासिक बदलाव
1992 में वे ब्यूनस आयर्स के ऑक्सीलरी बिशप, फिर 1998 में आर्कबिशप, और 2001 में कार्डिनल बनाए गए। अंततः 2013 में उन्होंने बेनेडिक्ट 16वें के बाद पोप का पद संभाला।
पोप बनने के बाद उन्होंने:
- वेटिकन की नौकरशाही में बड़े बदलाव किए
- प्रशासन में पारदर्शिता लाई
- चार अहम धार्मिक दस्तावेज तैयार किए
- 65 देशों की यात्रा की
- 900 से अधिक संतों को मान्यता दी
🏳️🌈 समलैंगिक जोड़ों के लिए आशीर्वाद और महिला सशक्तिकरण की पहल
पोप फ्रांसिस की सबसे क्रांतिकारी नीतियों में से एक थी – समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने की अनुमति। उन्होंने इसे एक आध्यात्मिक करुणा का प्रतीक बताया। साथ ही, उन्होंने महिलाओं को वेटिकन में उच्च पदों पर नियुक्त कर समानता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया।
उन्होंने गरीबों के लिए योजनाएं चलाईं और चर्च के आध्यात्मिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए 8 कार्डिनल्स की एक विशेष परिषद बनाई, जिससे चर्च की नीतियां और निर्णय अधिक सामूहिक हो सकें।
🙏 अंतिम झलक – ईस्टर पर लोगों से की मुलाकात
पोप फ्रांसिस ने अपने निधन से एक दिन पहले, ईस्टर के अवसर पर श्रद्धालुओं से मुलाकात की। यह उनकी अस्पताल से छुट्टी के बाद पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी। उन्होंने अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से भी मुलाकात की और सभी को ईस्टर की शुभकामनाएं दीं।
यह क्षण अब इतिहास का हिस्सा बन चुका है, जब दुनिया ने उन्हें अंतिम बार मुस्कुराते हुए देखा।
🕯️एक युग का अंत, लेकिन प्रेरणा अनंत
पोप फ्रांसिस की विरासत अमिट है। उन्होंने अपने जीवन में यह सिद्ध किया कि एक धर्मगुरु केवल धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने वाला नहीं, बल्कि समाज में परिवर्तन, करुणा और समावेशिता का वाहक हो सकता है।
उनके निधन से भले ही एक युग समाप्त हुआ हो, लेकिन उनकी विचारधारा और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।